प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी गणपति घर-घर विराजेंगे ऐसे पावन पर्व पर हर कोई चाहता है कि विघ्नहर्ता हमारे घर पधारें एवं हमारे सारे कष्टों को हर लें।
१ ) सर्वप्रथम घर मेँ जहाँ गणपति जी की स्थापना करनी है , उस स्थान की चतुर्थी से एक दिन पूर्व ही अच्छी तरह से साफ़ -सफाई कर शुद्धिकरण कर लें। इस कार्य में घर के बच्चो का भी सहयोग लें। उन्हें बताएँ कि विघ्नहर्ता घर पर पधारने वाले है, अतः घर की साफ़-सफाई आवश्यक है।
२)अब बारी आती है प्रतिमा (विग्रह) की, जब प्रतिमा लेने जाएँ घर के बच्चो को अवश्य साथ ले जाएँ। प्रतिमा ऐसी दुकान से ले जहाँ शुद्ध मिट्टी की प्रतिमाएँ मिलती हों। बहुत बड़ी और भारी प्रतिमा न लें। प्रतिमा लेते समय ध्यान रखें गणेशजी की सूँड उनके बायीं ओर मुड़ी हो तथा प्रभु के नयन नीचे की ओर ना झुकें हों। प्रतिमा देखने पर हमें ऐसा महसूस हो की प्रभु हमारी तरफ देख रहे हैं। प्रभु की चार भुजाओं में दाहिने तरफ की नीचे की भुजा वर मुद्रा में हो। प्रतिमा कहीं से खंडित न हो इसका ध्यान रखें। मूषक लेना न भूलें।
३)प्रतिमा लेने के पश्चात प्रभु के नयनो की तरफ देखते हुए मन ही मन पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ प्रार्थना करें कि "हे गजानन , कृपा करके हमारे घर पर पधारें और हमारी पूजा -सेवा स्वीकार करें। " इस तरह हर्षोल्लास के साथ प्रभु को घर पर ले आयें।
४)पूजा एवँ स्थापना के मुहुर्त का विचार योग्य विद्वान पंडित से पूछकर पहले ही निर्धारित कर लें। पूजा के पूर्व प्रभु के विराजने हेतु सुन्दर चौकी या सिंघासन रखें उस पर हल्दी से अष्टदल कमल बनायें इसके ऊपर लाल वस्त्र बिछाकर शुभ समय में प्रभु को विराजित करे।
५) प्रतिमा के दाहिनी ओर कलश एवं बायीं ओर नवग्रह मंडल की स्थापना करें। पूजा स्थल को आम्र पत्तों के तोरण व फूलों से सजाएँ।
६)पूजा की सभी सामग्री को एक थाली में सजाकर रख दें। भोग सामग्री यथा फल ,मिठाई, मोदक आदि सभी सजाकर प्रभु के सम्मुख रखें। पंचामृत ,पान के पत्ते, दूर्वा, फूलों की माला आदि सभी पूजा स्थल पर रख लें।
७) पूजा प्रारम्भ करने के पूर्व हाथ में जल लेकर तीन बार आचमन करें , हाथ धोएं पुनः हाथ में चावल,फूल, जल लेकर संकल्प करें, प्रार्थना करें। संकल्प जल को भूमि पर छोड़कर हस्त प्रच्छालन करें , फिर पूजा प्रारम्भ करें।
८) सर्वप्रथम दीपक, अगरबत्ती एवं धूप प्रज्ज्वलित कर लें। इसके बाद मन ही मन श्री गणेश मंत्र का उच्चारण करते हुए, प्रभु के विग्रह पर दूर्वाकुरों से शुद्ध जल के छीटे दें , पश्चात पंचामृत से स्नान कराएँ एवं पुनः शुद्ध जल से स्नान करायें (ध्यान दें मिट्टी की प्रतिमा में स्नान का अर्थ अल्प मात्रा में सिर्फ छीटे देने से होता हैं ) इसके बाद प्रभु को यग्योपवीत अर्पण करें, मौली अर्पण करें, वस्त्रादि पहनायें यदि आभूषण उपलब्ध हों तो वह भी पहनाएँ। हाथ जोड़कर प्रार्थना करें।
९)इसके बाद विधिवत पूजन करें गणेशजी के मस्तक पर कुमकुम अक्षत का तिलक करें, चन्दन (श्वेत या रक्त) प्रभु की भुजाओं में लगाएँ ,केसर का लेप नाभि स्थल में करें , सिन्दूर का लेप गणेशजी के चरणों में करें। इसके बाद प्रभु के वस्त्रों में सुगन्धित इत्र लगाएँ।
१०) तत्पश्चात गणेशजी को पुष्प,अक्षत ,गुलाल अर्पण करें। ताजे दुर्वांकुर जल से धोकर पाँच शाख वाले दुर्वांकुर प्रभु के चरणों में अर्पण करें।
११) इसके बाद यथाशक्ति प्रभु को मोदक, मिष्ठान्न, फल, सूखे मेवे इत्यादि भोग लगाएँ। धूप दीप दिखाएँ। मन ही मन श्रद्धापूर्वक प्रार्थना करें। इसके बाद प्रभु को लौंग इलायची युक्त ताम्बूल अर्पण करें।
१२ )इसी तरह कलश देवता व नवग्रह मंडल की पूजा करें तत्पश्चात सभी
सदस्य मिलकर गणेशजी की आरती करें। आरती करते समय चरणों की चार आरती, नाभि व वक्ष स्थल की तीन आरती एवं मुखारविंद की चार आरती उतारे। पश्चात कर्पूर से आरती करें दक्षिणा अर्पण करें , प्रदक्षिणा कर सभी सदस्यों को आरती दें।
१३)पूरी पूजा के दौरान घर के किसी सदस्य से घण्टी बजाते रहने को कहें। आरती के बाद शंखनाद करें। पूजा में मन ही मन गणेश मंत्र का जाप करते रहें। पूर्ण श्रद्धा व भाव से पूजा करें।
१४)उपरोक्त विधिपूर्वक पूजा चतुर्थी के दिन स्थापना के समय करें। शेष दिनों में निश्चित समय पर प्रभु को भोग लगाएँ एवं प्रातः सायं आरती करें व प्रतिदिन गणेशजी के भजन कीर्तन करें।
१५)पूजा स्थल की प्रत्येक दिन साफ़ सफाई अवश्य करें, बसी फूलों व पूजा सामग्री को अलग से किसी थैली में जमा अनंत चतुर्दशी के दिन साथ में विसर्जित करें।
अनंत चतुर्दशी के दिन गणपतिजी की खास पूजा कैसे करें यह हम आपको शीघ्र ही बताएँगे।
नोट : यदि आपकी कोई मनोकामना हो , या कोई कष्ट हो तो आप गणेशोत्सव के दौरान पूरे दस दिनों तक
संकटनाशन गणेश स्त्रोत
संतान प्राप्ति हेतु गणेश स्तोत्र
लक्ष्मी प्राप्ति हेतु गणेश स्तोत्र
श्री गणेशजी के १०८ नाम
श्री गणेश चालीसा
आदि का श्रद्धापूर्वक, नियमपूर्वक शुद्ध एवं पवित्र तन मन से पाठ करें। यथाशक्ति ॐ गं गणपतये नमः का जाप करें।
पूरे उत्सव के दौरान काम,क्रोध,ईर्ष्या,लोभ,निंदा आदि दुर्गुणों से दूर रहें आपकी सभी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होंगीं।
प्रभु गणेशजी महाराज आप सभी को आशीर्वादित करें इसी मंगलकामना के साथ
॥ गणपति बाप्पा मोरया ॥
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