बच्चों
के मुख में 20 दूध के दाँत होते हैं। जब पहला दाँत दिखे तभी से ही उनकी
साफ़-सफाई का ध्यान रखना चाहिए। हर बार बच्चे को दूध पिलाने या कुछ खिलाने के बाद
साफ़ गीले कपड़े से दाँतों को साफ़ करना चाहिए, जब और दाँत भी आ जाएँ तब मुलायम छोटे
ब्रश से साफ़ करना चाहिए। शुरुआत में माता-पिता को अपने हाथों से बच्चे के दाँतों
में ब्रश करवाना चाहिए।
दूध
के दाँतों का महत्व : दूध के दाँत भले ही बाद में गिर जाते हैं, परंतु इनका महत्व हमारे
अपने दाँतों से कोई कम नहीं है -खाने में, साफ़ बोलने में (उच्चारण) और सुन्दर
दिखने के अलावा इनका सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य है अपने दाँतों के लिए जगह बनाये
रखना। इसलिए अगर कोई दूध का दाँत समय से पहले किसी कारणवश गिर जाता है तो आने वाले
दाँत टेढ़े-मेढ़े आ सकते हैं। इसलिए दूध के दाँतों की देखभाल बहुत आवश्यक है।
दूध के दाँतों में होने वाली कुछ मुख्य परेशानियाँ
1)
दाँतों में कीड़े लगना : जो बच्चे दूध, जूस या कोई भी मीठे पदार्थ
वाली बोतल मुँह में लेकर सोते हैं, उनके दाँतों में सड़न हो जाती है, इसलिए जैसे ही
दूध या जूस ख़त्म हो तुरंत बोतल हटा लेनी चाहिए, यदि बच्चे के दाँतों में सड़न हो
रही हो तो दाँतों में बने छेद
डॉक्टर से भरवा लें।
2)
चोट लगने से दाँतों का टूटना : टूटे हुए दाँत को ठण्डे दूध
या पानी में डालकर अपने डॉक्टर (डेण्टल सर्जन) के पास जल्द से जल्द ले जाएँ (आधे
घण्टे के भीतर), जो दाँत जड़ से निकल जाये उसे फिर से बच्चे के मुँह में दोबारा
बैठाया जा सकता है।
बच्चों
को ब्रश करना कैसे सिखायें : आम तौर पर माता-पिता के लिए यह समस्या
होती है कि बच्चे को ब्रश करना कैसे सिखायें ? दो-तीन वर्ष का बच्चा आपको देखकर
दातौन या ब्रश करना सीखता है, पहले उसे स्वयं ब्रश करने दें फिर एक बार आप
उसके दाँतों को ब्रश से साफ़ करें। छः वर्ष तक के बच्चे को माता-पिता अपने
सामने ब्रश करवायें, जिससे दाँत भी ठीक से साफ़ हों तथा बच्चा टूथपेस्ट ना निगले
तथा उसे ठीक प्रकार से थूक दे। बच्चे को ठीक से ब्रश करना सिखायें, ब्रश के बाद
कुल्ला अवश्य करायें तथा जीभ भी साफ़ करवायें।
बच्चे को दिन में दो बार ब्रश या मंजन की आदत अवश्य डलवायें - सुबह
नाश्ते के पूर्व तथा रात को भोजन के बाद।
दाँतों की सड़न को कैसे रोकें :
1) दिन में दो बार ब्रश या मंजन की आदत अवश्य डलवायें
2) खाने में स्वस्थ यानि लाभदायक खाना दें, चीनी एवं कार्बोहाइड्रेट
की वस्तुयें कम करें और बच्चे की नाराज़गी दूर करने या खुश करने के लिए टॉफी देने
की आदत कभी ना डालें।
3) अपने डेण्टल सर्जन से बच्चे के दाँतों का परीक्षण बीच-बीच में
करवा लें।
माता-पिता की बच्चों के डेण्टल डेवलपमेंट अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका
होती है, जो एक दन्त चिकित्सक से भी पहले आती है ; क्योंकि आपके बच्चे की ओरल
हेल्थ आपसे ही शुरू होती है।
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