१) मनुष्य की संकल्प शक्ति ही उसकी सफलता की जननी है। "यह मेरा दृढ़ संकल्प है" इस दृढ़ निश्चय के साथ जब हम किसी कार्य का शुभारम्भ कर प्राण पण से लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं तो सफलता निश्चित है।
२) संकल्प तप का, क्रियाशक्ति का जनक है। संकल्प से ही मनुष्य दुर्गम को जीतकर सफलता की ओर अग्रसर होता है।
३) स्मरण रखिये शक्ति का स्रोत साधनो में नहीं अपितु संकल्प में है , यदि उन्नति प्राप्त करना हो, जीवन में आगे बढ़ना हो तो अपनी संकल्प शक्ति को दृढ़ एवं इच्छाओं को तीव्र बनाये सफलता आपसे दूर सकती।
४) दृढ़ संकल्प से मनुष्य स्वल्प साधनों में भी मनुष्य अधिकतम विकास कर सकता है मस्ती भरा जीवन बीता सकता है।
५) उन्नति की आकांक्षा मनुष्य का स्वाभाविक गुण है पर यह तभी संभव है , जब मनुष्य का संकल्प बल जागृत हो।
६) विकट परिस्थितियों से हार न मानो, कठिन परिस्थितियों में अपने अंदर के धैर्य और कार्य के प्रति उत्साह को प्रबल करो। तरह-तरह के प्रयास करो, कही न कही से सफलता अवश्य प्राप्त हो ही जाएगी।
७) हमेशा सुविधाओं व साधनो की कमी से असफलता का दोष न देखें। भाग्य दूसरों या साधनो से विकसित नहीं होता। आपका भार ढोने के लिए संसार में कोई दूसरा तैयार न होगा , हमेशा इसे याद रखें।
८) हम सभी भीतर एक महान चेतना कार्य कर रही है , उसकी शक्ति अनंत है और विश्वास रखिये कि वह शक्ति आपके पास ही है , आश्रय ग्रहण करें तो प्रत्यक्ष आत्मविश्वास जाग जायेगा। संकल्प का दूसरा रूप है - आत्मविश्वास।
९) यह सच है कि संकल्प के अभाव में शक्ति का कोई महत्व नहीं है , ठीक उसी प्रकार यह भी सच है कि शक्ति के अभाव में संकल्प पूरे नही होते। संकल्प के साथ शक्ति को संयुक्त करना एक कला है, और इसमें परमावश्यक है - अथक परिश्रम।
१०) हमेशा याद रखें सफलता लघु मार्ग से प्राप्त नहीं की जा सकती है , बड़े लक्ष्य जिस संकल्प शक्ति के साथ प्रारम्भ किये जाते हैं उनमे उतना ही परिश्रम भी लगता है। सच्चाई यह है कि केवल वे ही इच्छाएँ पूरी होती है जिनके साथ शशक्त प्रयास भी हों।
११) उपयुक्त और उच्च स्तर के साधन जुटाने के लिए लोग इंतज़ार करते रहते हैं और यह तथ्य इस संभावना का ही आभास देता है शायद यह कार्य कभी आरम्भ ही न हो सकेगा।
१२) याद रखें मनुष्य की संकल्प शक्ति इतनी बड़ी है ,की वह मार्ग उत्पन्न होने वाली प्रत्येक बाधाओं को पैरों तले रौंदती हुई आगे बढ़ सकती है।
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